

भाषा
भाषा के बिना जीवन असंभव है अपने विचारो को व्यक्त करने के लिए भाषा का होना अतिआवश्यक है।प्राचीन पध्दति की शिक्षा के बारे मे देखें तो आज की पद्धति मे काफी कुछ बदलाव
आ गया है ।आज जो डिजिटल पद्धति से शिक्षा का प्रसार प्रचार हो रहा है उससे बालको को लाभ हो रहा है। उनमे स्वय से बोलने की क्षमता का विकास हो रहा है तथा लिखने का भी।
मेरे विचार से हमारे विधालय मे जिस तरह की शिक्षा दी जाती है ,उससे छात्रों का सम्पूर्ण विकास होता है। आत्मविश्वास बढता है ।स्वयं लिखने की क्षमता बढती है और अपने विचारो को व्यक्त
करने में काफी आसान हो जाता है ।यहाँ पर विशेष रूप से भाषा पर ध्यान दिया जाता है।आपसी तालमेल के लिए भाषा का होना अनिवार्य है ।इस लिए मेरे विचारो मे विधालयों मे भाषा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। अगर आप चाहते है की आप का बालक अच्छी भाषा सीखे तो कोई गलत नही है किया इस विधालय का चुनाव करके । देर मत कीजिए बचपन से ही अच्छी शिक्षा की ओर जाए।
निज भाषा उन्नत अहै , कसब उन्नत को मूल बिन निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को सूल